
Yamuna Chhath 2025: इस वर्ष यमुना छठ का पर्व 3 अप्रैल 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। भारत में त्योहारों की भूमि मानी जाती है, जहां हर पर्व के पीछे एक गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता छिपी होती है। ऐसा ही एक विशेष पर्व है यमुना छठ, जो मुख्य रूप से मथुरा और वृंदावन के क्षेत्रों में बड़े उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह दिन चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाया जाता है, जो चैत्र नवरात्रि के पवित्र समय के दौरान आता है। इस पर्व का उद्देश्य देवी यमुना का सम्मान करना और उनकी कृपा प्राप्त करना है।
यमुना छठ का महत्व
यमुना छठ उस दिन को चिह्नित करता है जब देवी यमुना, जो स्वयं एक दिव्य नदी और देवी के रूप में पूजी जाती हैं, पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। हिंदू धर्म में, यमुना को जीवनदायिनी और मोक्ष प्रदान करने वाली माना गया है। विशेष रूप से, ब्रज क्षेत्र में देवी यमुना का महत्व अधिक है, क्योंकि वे भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी मानी जाती हैं। मथुरा और वृंदावन के भक्तों के लिए यह पर्व देवी यमुना के प्रति अपनी भक्ति और सम्मान व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
पूजा और अनुष्ठान
यमुना छठ के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर यमुना नदी के किनारे इकट्ठा होते हैं। वे नदी में स्नान करके पवित्रता और शुद्धता की अनुभूति करते हैं। इसके बाद, यमुना नदी की पूजा की जाती है और उन्हें फूल, दीप, और विभिन्न प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। भक्त इस दिन देवी यमुना से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।
इस दिन यमुना अष्टकम और अन्य वैदिक मंत्रों का पाठ किया जाता है, जो इस पवित्र नदी के महत्व और महिमा का वर्णन करते हैं। कई स्थानों पर, विशेष झांकियां और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो इस पर्व को और भी आकर्षक बनाते हैं।
पर्यावरण और जागरूकता
यमुना छठ का एक और महत्वपूर्ण पहलू है पर्यावरण संरक्षण। चूंकि यमुना नदी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह लाखों लोगों की जीवनरेखा भी है, इस दिन लोग नदी की स्वच्छता और संरक्षण का संकल्प लेते हैं। इस दिन कई संगठन और स्थानीय समूह नदी को स्वच्छ बनाने के अभियान चलाते हैं।
यमुना छठ सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है; यह प्रकृति के प्रति सम्मान और समाज को एकता के सूत्र में पिरोने का पर्व भी है। 2025 में, यह त्योहार हमें न केवल देवी यमुना के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करने का अवसर देगा, बल्कि हमारी जीवनदायिनी नदियों के संरक्षण और स्वच्छता की दिशा में प्रयास करने की प्रेरणा भी देगा।