
Vrishabha Sankranti 2025 : वृषभ संक्रांति, हिंदू सौर कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो सूर्य के मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है। वर्ष 2025 में, यह पवित्र दिन 15 मई, गुरुवार को मनाया जाएगा। वृषभ संक्रांति न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह दान-पुण्य और आध्यात्मिक साधना के लिए भी आदर्श मानी जाती है। आइए इस पर्व के महत्व, परंपराओं और उससे जुड़ी गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानें।
वृषभ संक्रांति का धार्मिक महत्व
संक्रांति शब्द का अर्थ है “परिवर्तन” या “स्थानांतरण”। वृषभ संक्रांति सूर्य देव की गति के आधार पर मनाई जाती है, जब वे मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं। यह दिन हिंदू सौर कैलेंडर में दूसरे महीने की शुरुआत का प्रतीक है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, संक्रांति के दिन किए गए दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। इस दिन की गई धार्मिक क्रियाएँ और उपासना कई गुना फलदायी मानी जाती हैं। वृषभ संक्रांति के समय गायों को भोजन कराना और उनका सम्मान करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
शुभ मुहूर्त और परंपराएँ
वृषभ संक्रांति के लिए शुभ मुहूर्त का निर्धारण संक्रांति क्षण से किया जाता है। संक्रांति से पहले सोलह घटी का समय (लगभग 6 घंटे 24 मिनट) अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवधि में किए गए दान, पूजा, और अन्य धार्मिक कार्यों का विशेष फल प्राप्त होता है।
गोदान का महत्व
वृषभ संक्रांति पर गोदान का अत्यधिक महत्व है। गाय को धर्म और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन गाय को दान करने या उसे भोजन कराने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गोदान करने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
अन्य धार्मिक गतिविधियाँ
दान-पुण्य: संक्रांति के दिन अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
स्नान: पवित्र नदियों में स्नान करना या घर पर गंगाजल से स्नान करना शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक है।
विशेष पूजा: सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा इस दिन विशेष रूप से की जाती है।
भोजन और प्रसाद: वृषभ संक्रांति पर ताजे फल, दूध, और घी से बने व्यंजन भगवान को अर्पित किए जाते हैं।
क्षेत्रीय विविधताएँ
भारत के विभिन्न हिस्सों में वृषभ संक्रांति को अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इसे “संक्रमनम” कहा जाता है। यहाँ विशेष पूजा-अर्चना के साथ दान-पुण्य की परंपरा होती है। उत्तर भारत में लोग मंदिरों में जाकर सूर्य देवता की आराधना करते हैं और गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करते हैं।
वृषभ संक्रांति 2025 की तैयारी
अगर आप वृषभ संक्रांति 2025 को सही तरीके से मनाना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:
शुभ मुहूर्त का पालन करें: संक्रांति के समय को ध्यान में रखकर अपनी धार्मिक गतिविधियाँ करें।
दान की योजना बनाएं: गाय को भोजन कराएँ, गरीबों को भोजन दें, और जरूरतमंदों की मदद करें।
सादा जीवन: इस दिन सादा और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
परिवार के साथ समय बिताएं: इस दिन को अपने परिवार और प्रियजनों के साथ मनाएँ।
वृषभ संक्रांति एक ऐसा पर्व है जो हमें दान, धर्म, और आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है। यह दिन न केवल हमारे कर्मों को शुद्ध करने का अवसर देता है, बल्कि हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का भी काम करता है। वृषभ संक्रांति 2025 को पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाएँ और अपनी आस्था को सुदृढ़ करें।