
Budget 2025 : आगामी केंद्रीय बजट 2025 को लेकर उम्मीदें बढ़ रही हैं, खासकर विवाहित जोड़ों के लिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को प्रस्तुत किए जाने वाले इस बजट से पहले, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने ‘संयुक्त कराधान’ का एक अनोखा प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य पति-पत्नी को एक संयुक्त इकाई के रूप में कर रिटर्न दाखिल करने की सुविधा प्रदान करना है। यह प्रणाली अमेरिका और यूके जैसे देशों में पहले से प्रचलित है और इसे भारत में लागू करने की सिफारिश की गई है।
Married couples tax returns
ICAI ने प्रस्तावित किया है कि विवाहित जोड़े अपनी आय को संयोजित करके एकल कर इकाई के रूप में कर रिटर्न दाखिल कर सकें। इससे करदाताओं को न केवल बेहतर कर लाभ मिलेगा, बल्कि मौजूदा प्रणाली में आने वाली असमानताओं को भी दूर किया जा सकेगा। इस प्रणाली के तहत कर स्लैब निम्नलिखित होंगे:
₹6 लाख तक की आय: कोई कर नहीं
₹6 लाख से ₹14 लाख तक: 5% कर
₹14 लाख से ₹20 लाख तक: 10% कर
₹20 लाख से ₹24 लाख तक: 15% कर
₹24 लाख से ₹30 लाख तक: 20% कर
₹30 लाख से अधिक आय: 30% कर
मौजूदा मूल छूट सीमा को ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹6 लाख करने का सुझाव दिया गया है।
अधिभार सीमा को ₹50 लाख से ₹1 करोड़ तक बढ़ाने की सिफारिश की गई है, जिसके तहत आयु सीमा के आधार पर अधिभार अलग-अलग दरों (10%, 15%, 20%) पर लागू होगा।
विवाहित जोड़े मानक कटौती का संयुक्त रूप से लाभ उठा सकेंगे, जिससे उनकी कुल कर देयता कम होगी।
वर्तमान कर प्रणाली और इसकी सीमाएँ
वर्तमान में भारत में पति और पत्नी अलग-अलग कर रिटर्न दाखिल करते हैं। यदि एक साथी की आय अधिक है, तो उस पर ज्यादा कर लागू होता है, जबकि दूसरा साथी अलग कटौती का दावा कर सकता है। हालांकि, यह प्रणाली उन परिवारों के लिए कम प्रभावी होती है, जहां केवल एक ही आय अर्जित करने वाला है।
संयुक्त कराधान प्रणाली से इन असमानताओं को दूर करने में मदद मिलेगी और विशेष रूप से एकल आय वाले परिवारों को लाभ होगा।
Current tax system Couples
ICAI का यह प्रस्ताव देश में कराधान प्रणाली को अधिक समावेशी और व्यावहारिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। लेकिन इसके कार्यान्वयन से पहले इसे सरकार की ओर से व्यापक समीक्षा और चर्चा की आवश्यकता होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रणाली कर संग्रह को प्रभावित कर सकती है, लेकिन करदाताओं को राहत देकर समग्र आर्थिक संतुलन में सुधार करेगी। बजट 2025 से जुड़ी इस पहल पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। यदि यह प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है, तो यह न केवल करदाताओं के जीवन को सरल बनाएगा, बल्कि भारतीय कर प्रणाली को भी आधुनिक और प्रगतिशील दिशा में ले जाएगा।