
Sheetala Ashtami 2025 : शीतला अष्टमी, जिसे बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो देवी शीतला की पूजा के लिए समर्पित है। इस साल यह पर्व 22 मार्च 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे राजस्थान, गुजरात, और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है।
बसोड़ा की परंपराएं
शीतला अष्टमी पर विशेष रूप से यह परंपरा है कि इस दिन घरों में ताजा खाना नहीं बनाया जाता। परिवार एक दिन पहले ही भोजन पकाते हैं और इस दिन बासी भोजन का सेवन करते हैं। इसे “बसोड़ा” कहा जाता है। इस परंपरा का धार्मिक और स्वास्थ्य दोनों ही दृष्टिकोण से गहरा महत्व है। माना जाता है कि बासी भोजन का सेवन देवी शीतला को प्रिय है और इससे उनकी कृपा प्राप्त होती है।
गुजरात में, इसी प्रकार का एक त्योहार कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले शीतला सतम के नाम से मनाया जाता है। इस दिन भी ताजा खाना पकाने से परहेज किया जाता है और देवी शीतला की पूजा की जाती है।
देवी शीतला का महत्त्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवी शीतला को चेचक, खसरा और अन्य संक्रामक रोगों की नियंत्रक देवी माना जाता है। शीतला अष्टमी के दिन उनकी पूजा करके इन बीमारियों के प्रकोप से बचने की प्रार्थना की जाती है। लोग यह मानते हैं कि देवी शीतला के आशीर्वाद से उनका परिवार स्वस्थ और समृद्ध रहेगा।
शीतला माता की पूजा के दौरान लोग उनकी प्रतिमा को जल, हल्दी, चावल, और बासी भोजन चढ़ाते हैं। साथ ही, मिट्टी के दीपक जलाकर प्रार्थना की जाती है। पूजा के समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि यह भी देवी शीतला की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम माना जाता है।
शीतला अष्टमी का सांस्कृतिक पक्ष
शीतला अष्टमी केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज और परिवार के सदस्यों को एकजुट करने का भी अवसर प्रदान करता है। इस दिन लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर बासी भोजन साझा करते हैं, जिससे आपसी प्रेम और स्नेह बढ़ता है। यह त्योहार भारतीय समाज में परिवार और समुदाय के महत्व को दर्शाता है।
शीतला अष्टमी के पीछे स्वास्थ्य संबंधी मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। यह पर्व गर्मी के मौसम की शुरुआत में आता है, जब संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है। इस दौरान देवी शीतला की पूजा स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक प्रतीक है। बासी भोजन का सेवन करने से भोजन को सुरक्षित रखने और भोजन की बर्बादी को रोकने का संदेश भी मिलता है।
शीतला अष्टमी एक ऐसा पर्व है जो धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को एक साथ जोड़ता है। यह त्योहार न केवल देवी शीतला की कृपा प्राप्त करने का अवसर है, बल्कि समाज में एकता, प्रेम और स्वच्छता का संदेश भी देता है। इस पर्व के पीछे छिपा वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व इसे और भी प्रासंगिक बनाता है। इस शीतला अष्टमी पर हम सभी को अपनी परंपराओं का पालन करते हुए देवी शीतला से अपने परिवार की सुख-शांति और स्वास्थ्य की प्रार्थना करनी चाहिए।