
Shani Jayanti 2025 : भारत के विभिन्न त्योहार और व्रत न केवल धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा भी हैं। इन्हीं त्योहारों में से एक प्रमुख पर्व है शनि जयंती। इस वर्ष शनि जयंती 27 मई 2025 को, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। यह दिन भगवान शनि देव की जयंती के रूप में जाना जाता है और इसे शनि अमावस्या के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
शनि जयंती का महत्व
शनि देव सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं और शनि ग्रह एवं शनिवार के दिन के अधिपति माने जाते हैं। वे कर्म, न्याय और अनुशासन के देवता हैं। शास्त्रों के अनुसार, शनि देव निष्पक्ष न्याय करते हैं और हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। यही कारण है कि शनि जयंती का दिन उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने और उनसे जुड़ी बाधाओं को दूर करने का एक विशेष अवसर माना जाता है।
शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। उत्तर भारतीय पूर्णिमांत कैलेंडर और दक्षिण भारतीय अमंत कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अलग-अलग नामों से जानी जाती है, लेकिन दोनों कैलेंडरों में यह पर्व एक ही दिन पड़ता है। यह दिन वट सावित्री व्रत के साथ भी मेल खाता है, जिसे महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं।
शनि जयंती पर अनुष्ठान और पूजा विधि
शनि जयंती पर भक्त भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। इनमें प्रमुख हैं:
व्रत और उपवास: इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और भगवान शनि की पूजा-अर्चना करते हैं। यह व्रत शनि दोष और साढ़े साती के प्रभाव को कम करने में सहायक माना जाता है।
शनि तैलाभिषेक: शनि मंदिरों में जाकर शनि देव की प्रतिमा पर तिल के तेल का अभिषेक किया जाता है। तिल के तेल का उपयोग भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
शनि शांति पूजा: यह पूजा शनि दोष से मुक्ति पाने और जीवन में सुख-शांति लाने के उद्देश्य से की जाती है। इस पूजा में हवन, होम और यज्ञ का विशेष महत्व है।
दान-पुण्य: इस दिन जरूरतमंदों को तिल, लोहे के बर्तन, काले वस्त्र और तेल का दान करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि शनि देव दान से प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनका आशीर्वाद मिलता है।
शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के उपाय
शनि जयंती के दिन भगवान शनि के मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है। “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करते हुए भगवान शनि की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही, भक्त शनि चालीसा का पाठ और सुंदरकांड का पाठ भी करते हैं।
शनि जयंती का संदेश
शनि जयंती का पर्व हमें यह सिखाता है कि कर्म का फल अवश्य मिलता है। यह दिन हमें अपने जीवन में अनुशासन, न्याय और सत्यनिष्ठा को अपनाने की प्रेरणा देता है। साथ ही, यह दिन हमें हमारे कर्मों के प्रति सचेत रहने और सद्गुणों को अपनाने का अवसर प्रदान करता है।
अतः, शनि जयंती पर भगवान शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा-अर्चना करें और उनके न्यायप्रिय स्वरूप से प्रेरणा लें।