
Sakat Chauth सकट चौथ 2025 में 17 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। खासतौर पर माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में लोकप्रिय है और माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी आयु और समृद्धि के लिए रखा जाता है।
सकट चौथ का धार्मिक महत्व
सकट चौथ देवी सकट और भगवान गणेश की आराधना का विशेष दिन है। यह पर्व देवी सकट के दयालु स्वभाव को दर्शाने वाली कथाओं से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से परिवार पर आने वाले सभी संकट टल जाते हैं और सुख-शांति का वास होता है।
सकट चौथ को कई नामों से जाना जाता है, जैसे:
- संकट चौथ: यह नाम इस दिन के संकटों से मुक्ति के महत्व को दर्शाता है।
- तिल-कुटा चौथ: इस दिन तिल का विशेष महत्व है।
- वक्र-टुंडी चतुर्थी: भगवान गणेश के विशेष रूप को समर्पित नाम।
- माघी चौथ: यह माघ महीने में आने के कारण इसे यह नाम दिया गया।
सकट चौथ की कथा
सकट चौथ की कथा के अनुसार, देवी सकट अपनी करुणा और दया के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने एक बार अपने भक्तों को बड़े संकट से मुक्ति दिलाई। यही कारण है कि इस दिन महिलाएं देवी सकट और भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने पुत्रों की भलाई के लिए व्रत रखती हैं।
पूजा विधि
- प्रातः काल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- साफ स्थान पर भगवान गणेश और देवी सकट की मूर्ति स्थापित करें।
- तिल, गुड़ और अन्य सामग्री से भगवान गणेश की पूजा करें।
- शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
तिल का विशेष महत्व होने के कारण तिल से बने व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। यह दिन तिल का सेवन करने और दान देने के लिए शुभ माना जाता है।
सकट चौथ और सकट माता मंदिर
राजस्थान में एक स्थान है जिसे सकट गांव कहा जाता है। यहां देवी संकट को समर्पित एक प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर राजस्थान के अलवर जिले से लगभग 60 किलोमीटर और जयपुर से 150 किलोमीटर दूर है। यहां भक्त देवी संकट चौथ माता के दर्शन के लिए आते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
सकट चौथ का फल
इस दिन व्रत और पूजा करने से:
- परिवार के सभी संकट दूर होते हैं।
- बच्चों की लंबी आयु और समृद्धि प्राप्त होती है।
- सुख, शांति और वैभव का आशीर्वाद मिलता है।
सकट चौथ 2025 का यह पर्व भक्ति, श्रद्धा और परिवार की सुख-शांति के लिए समर्पित है। देवी सकट और भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा अवश्य करें।
यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि जीवन में सकारात्मकता और संकटों से उबरने का मार्ग भी दिखाता है।