
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नकली नोटों की पहचान और मुद्रा प्रबंधन में सुधार के लिए एक अहम कदम उठाते हुए बैंकों को BIS-प्रमाणित नोट सॉर्टिंग मशीनों (NSM) का उपयोग करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश 1 मई 2024 से प्रभावी होगा।
RBI ने स्पष्ट किया है कि नोट सॉर्टिंग मशीनें BIS मानकों, विशेष रूप से IS 18663: 2024 के अनुरूप होनी चाहिए। BIS प्रमाणन यह सुनिश्चित करता है कि मशीनें न केवल सटीक गिनती करती हैं बल्कि नकली नोटों की पहचान में भी सक्षम होती हैं। इससे न केवल बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि नकली नोटों की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी।
BIS-प्रमाणित नोट सॉर्टिंग मशीनों (NSM) का उपयोग
सटीक नोट गिनती: BIS-प्रमाणित मशीनें उन्नत तकनीक से लैस हैं, जो नोटों की सटीक गिनती और उनकी स्थिति का आकलन करती हैं।
नकली नोट की पहचान: ये मशीनें नकली नोटों की पहचान के लिए विशेष सेंसर्स का उपयोग करती हैं, जिससे बैंकिंग प्रणाली में धोखाधड़ी की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
संगठित नकदी प्रबंधन: नई तकनीक के साथ, बैंकों को नकदी प्रबंधन में दक्षता और गति प्राप्त होगी।
IS 18663: 2024 के तहत प्रमाणित नोट सॉर्टिंग मशीनों को डिजाइन और प्रदर्शन के विभिन्न मापदंडों पर परखा जाता है। ये मापदंड सुनिश्चित करते हैं कि मशीनें भारतीय मुद्रा की विविधता को समझने में सक्षम हों और उच्च सटीकता के साथ कार्य करें।
नकली नोटों की समस्या से राहत
भारत में नकली नोटों की समस्या लंबे समय से चुनौती रही है। BIS-प्रमाणित मशीनों का उपयोग इस दिशा में एक बड़ा कदम है। इन मशीनों की सटीकता और विश्वसनीयता से नकली नोटों का पता लगाना आसान होगा, जिससे आम जनता का बैंकिंग प्रणाली में विश्वास मजबूत होगा।
कों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे 1 मई 2024 तक BIS-प्रमाणित नोट सॉर्टिंग मशीनों का उपयोग सुनिश्चित करें। इससे न केवल नकली नोटों की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी बल्कि देश में डिजिटल और संगठित बैंकिंग की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।