
Phalguna Purnima 2025 : फाल्गुन पूर्णिमा, जो इस वर्ष 14 मार्च 2025 को शुक्रवार के दिन है, भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह दिन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। फाल्गुन पूर्णिमा के साथ होली, लक्ष्मी जयंती, और अन्य कई उत्सव जुड़े हुए हैं, जो इसे और भी विशेष बनाते हैं। यह साल की अंतिम पूर्णिमा है और इसे वसंत पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि यह वसंत ऋतु के साथ मेल खाती है।
पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
पूर्णिमा का दिन हिंदू कैलेंडर में अत्यधिक पवित्र माना जाता है। इस दिन सत्य नारायण भगवान की पूजा करने और उपवास रखने की परंपरा है। विभिन्न परिवार इस दिन को पवित्रता और भक्ति के साथ मनाते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह कई त्यौहारों और जयंती के साथ मेल खाती है।
फाल्गुन पूर्णिमा और होली का उत्सव
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भारत में होली का पर्व मनाया जाता है। होली भारतीय त्योहारों में सबसे प्रमुख और आनंदमयी त्योहार है। यह रंगों का त्योहार है, जिसमें लोग अपने गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और खुशी मनाते हैं। इस दिन होलिका दहन की परंपरा भी निभाई जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
दक्षिण भारत में काम दहन
दक्षिण भारतीय राज्यों जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में, फाल्गुन पूर्णिमा को काम दहन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान कामदेव से जुड़ी पौराणिक कथाओं पर आधारित है। काम दहन की रस्में उत्तर भारत के होलिका दहन से काफी मिलती-जुलती हैं, लेकिन इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ अलग है। तमिलनाडु में इसे कामन पंडिगाई और तेलुगु राज्यों में कामुनी पंडुगा कहा जाता है।
पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा
पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में फाल्गुन पूर्णिमा का दिन डोल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव भगवान कृष्ण को समर्पित है। इस दिन भगवान कृष्ण की मूर्ति को डोल (झूला) पर रखा जाता है और शोभायात्रा निकाली जाती है। भक्त इस दिन भगवान कृष्ण के साथ होली खेलते हैं और भक्ति रस में डूब जाते हैं।
गौड़ीय वैष्णव परंपरा और चैतन्य महाप्रभु
फाल्गुन पूर्णिमा का दिन चैतन्य महाप्रभु की जयंती के साथ भी मेल खाता है। गौड़ीय वैष्णव समुदाय के लिए यह दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वे इस दिन विशेष पूजा और कीर्तन का आयोजन करते हैं।
फाल्गुन पूर्णिमा भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यह न केवल धार्मिक परंपराओं का पालन करने का दिन है बल्कि समाज में भाईचारे और उल्लास का संदेश भी देता है। होली, डोल पूर्णिमा, काम दहन, और लक्ष्मी जयंती जैसे उत्सव इस दिन को और भी विशेष बनाते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा हमें हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक एकता का स्मरण कराती है।