
Pausha Putrada Ekadashi पौष पुत्रदा एकादशी 2025 में 10 जनवरी को मनाई जाएगी। यह एकादशी व्रत विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
एकादशी व्रत का पारण (समापन)
पारण का अर्थ है व्रत का समापन करना। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद किया जाता है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाए, तो द्वादशी के समय के भीतर पारण करना अत्यंत आवश्यक होता है। ऐसा न करना धर्म शास्त्रों के अनुसार पाप के समान माना गया है।
हरि वासर के दौरान व्रत का पारण नहीं करना चाहिए।
- हरि वासर द्वादशी तिथि का पहला चौथाई भाग होता है।
- व्रत तोड़ने का सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है।
- यदि किसी कारणवश प्रातःकाल व्रत तोड़ना संभव न हो, तो इसे मध्याह्न के बाद पूरा करना चाहिए।
- भक्तों को यह ध्यान रखना चाहिए कि मध्याह्न के समय व्रत का समापन नहीं करना चाहिए।
दो दिन की एकादशी का महत्त्व
कई बार पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि दो दिन तक होती है। ऐसी स्थिति में एकादशी व्रत का निर्णय विशेष नियमों के आधार पर किया जाता है:
- स्मार्त और गृहस्थों के लिए पहला दिन उपयुक्त माना जाता है।
- सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक भक्तों के लिए दूजी (दूसरी) एकादशी का व्रत करना शुभ माना गया है।
- जब स्मार्त के लिए दूजी एकादशी का पालन किया जाता है, तब वह वैष्णव एकादशी के दिन के साथ ही होती है।
जो भक्त भगवान विष्णु के परम स्नेह और आशीर्वाद की कामना करते हैं, उन्हें दोनों दिन एकादशी व्रत करने की सलाह दी जाती है।
पौष पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्त्व
पुत्रदा एकादशी का सीधा संबंध संतान प्राप्ति से है। यह विशेष व्रत उन दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है, जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं। पुराणों में वर्णन मिलता है कि जो भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें संतान सुख के साथ-साथ जीवन में अन्य सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है।
पूजा विधि:
- प्रातःकाल उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और उनका विधिवत पूजन करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
- दिनभर निराहार रहें और रात में भजन-कीर्तन करें।
- अगले दिन द्वादशी तिथि पर पारण करके व्रत का समापन करें।
व्रत का लाभ और पुण्य
पुत्रदा एकादशी का व्रत न केवल संतान प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है। इस व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे सभी कष्ट दूर होते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। यह व्रत उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है, जो जीवन में संतान सुख की चाह रखते हैं और विष्णु जी के अनन्य भक्त हैं।
2025 की पौष पुत्रदा एकादशी एक विशेष अवसर है जब भक्त भगवान विष्णु की आराधना कर सकते हैं और अपने जीवन की मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते हैं। इस दिन व्रत के नियमों का पालन करके और सही समय पर पारण करके व्यक्ति पुण्य अर्जित कर सकता है। इसलिए, श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को करें और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।
“हरे कृष्ण! हरे विष्णु!”