
Papankusha Ekadashi Vrat 2025 : पापांकुशा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल यह पापांकुशा एकादशी व्रत 3 अक्टूबर 2025 को शुक्रवार के दिन है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए किया जाता है और इसके पालन से पापों का नाश एवं पुण्य की प्राप्ति होती है। पापांकुशा एकादशी का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
व्रत की महत्वता और पारण की विधि
पापांकुशा एकादशी का व्रत समापन पारण के रूप में होता है, जो एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। पारण का अर्थ है व्रत को समाप्त करना। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है, तो पारण द्वादशी तिथि के भीतर करना आवश्यक होता है। यदि समय पर पारण नहीं किया जाता है, तो यह पाप के समान माना जाता है।
इस व्रत में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हरि वासर के दौरान पारण नहीं करना चाहिए। हरि वासर वह समय होता है जो द्वादशी तिथि के पहले चौथाई हिस्से के रूप में होता है। व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर का समाप्त होना आवश्यक है। इसलिए व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को इस समय का ध्यान रखना चाहिए और व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए।
व्रत के समय का ध्यान रखना
पारण का सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के समय व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। अगर किसी कारणवश वह प्रातःकाल पारण नहीं कर सकते हैं तो उन्हें मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए। हालांकि, हरि वासर के दौरान पारण से बचने के लिए व्रत तोड़ने का समय का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है।
दूसरे दिन का व्रत: स्मार्त और वैष्णव दृष्टिकोण
कभी-कभी पापांकुशा एकादशी व्रत दो दिनों के लिए भी किया जाता है। इस स्थिति में स्मार्त परिवारों को पहले दिन व्रत करना चाहिए। जबकि, सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं के लिए दूसरी एकादशी का व्रत भी किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से वैष्णव एकादशी के दिन होता है और इसका पालन भगवान विष्णु के प्रति प्रेम और भक्ति को दर्शाता है।
भक्तों के लिए पापांकुशा एकादशी का महत्व
भगवान विष्णु के प्रति सच्चे प्रेम और भक्ति में संलग्न भक्तों के लिए यह व्रत दो दिनों तक करने की सलाह दी जाती है। इस व्रत के माध्यम से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की कठिनाइयाँ समाप्त हो जाती हैं। पापांकुशा एकादशी व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।
अंततः, पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन न केवल एक धार्मिक कार्य है, बल्कि यह आत्मिक शांति, सुख और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करता है। हर भक्त को इस व्रत का पालन अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार करना चाहिए, ताकि उन्हें भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त हो।