
Narak Chaturdashi 2025 : 2025 में नरक चतुर्दशी का पर्व 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। इसे छोटी दिवाली, रूप चतुर्दशी और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का दूसरा दिन होता है और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अभ्यंग स्नान करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और नरक जाने से बच सकता है।
अभ्यंग स्नान का महत्त्व
अभ्यंग स्नान का अर्थ है शरीर की तिल के तेल से मालिश करके स्नान करना। यह प्रक्रिया शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक है। अभ्यंग स्नान चतुर्दशी तिथि के दौरान सूर्योदय से पहले किया जाना चाहिए।
Abhyang Snan Shubh Muhurat in 2025
(नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान शुभ मुहूर्त)
तारीख: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
समय: सुबह 05:13 से 06:25 तक
यह मुहूर्त चतुर्दशी तिथि के दौरान चंद्रोदय और सूर्योदय के बीच का है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस समय पर अभ्यंग स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा
नरक चतुर्दशी से जुड़ी एक प्रमुख कथा राजा रंतिदेव की है। मान्यता है कि रंतिदेव ने इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की थी। इससे उनके पाप समाप्त हो गए और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इस दिन नरकासुर नामक असुर का वध किया था। नरकासुर के आतंक से त्रस्त लोगों को मुक्ति मिलने के कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी कहा गया।
अभ्यंग स्नान कैसे करे
तिल के तेल का उपयोग: अभ्यंग स्नान में तिल के तेल का प्रयोग किया जाता है, जिसे पवित्र और औषधीय माना जाता है। यह शरीर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
उबटन: उबटन के लिए चंदन, हल्दी और बेसन का उपयोग करें। यह त्वचा को शुद्ध और सुंदर बनाता है।
दीप जलाना: स्नान से पहले घर के हर कोने में दीप जलाएं। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
नरक चतुर्दशी और काली चौदस में अंतर
अक्सर नरक चतुर्दशी को काली चौदस के समान समझा जाता है, लेकिन ये दोनों पर्व अलग हैं। काली चौदस मुख्यतः शक्ति की उपासना का दिन है, जबकि नरक चतुर्दशी पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और यमराज की पूजा की जाती है। तिथियों के आरंभ और समाप्ति के समय के कारण ये त्यौहार कभी-कभी एक ही दिन पड़ सकते हैं।
नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान करने से व्यक्ति को न केवल शारीरिक शुद्धता मिलती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त होती है। यह पवित्र स्नान व्यक्ति के जीवन से पापों को नष्ट करता है और उसे स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
नरक चतुर्दशी का पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और नए सिरे से जीवन शुरू करने का अवसर भी है। अभ्यंग स्नान की परंपरा हमारे प्राचीन संस्कृति की गहराई और वैज्ञानिकता को दर्शाती है। इस पर्व पर पूरे परिवार के साथ पूजा और स्नान करें और दिवाली के आनंद को दुगना करें।