
Margashirsha Purnima 2025 : भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में पूर्णिमा का विशेष महत्व है, और मार्गशीर्ष पूर्णिमा उनमें से एक है। इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी। यह दिन न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय पौराणिक कथाओं में भी इसका खास स्थान है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा दान महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिंदू पंचांग के मार्गशीर्ष मास की अंतिम तिथि है। इसे दान, व्रत, और पूजा-पाठ का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान का महत्व है, और श्रद्धालु बड़ी संख्या में पवित्र नदियों के तट पर जाकर स्नान करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन स्नान और दान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं।
यह दिन भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा के लिए समर्पित है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा को “दत्तात्रेय जयंती” के रूप में भी मनाया जाता है, जो भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव का प्रतीक है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा कथा
मार्गशीर्ष पूर्णिमा से जुड़ी एक पौराणिक कथा है, जो भगवान विष्णु और एक निर्धन ब्राह्मण के जीवन में बदलाव लाने की कहानी है।
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में वासुदेव नामक निर्धन ब्राह्मण रहते थे। उनका जीवन कठिनाइयों से भरा था, और वे हमेशा भगवान विष्णु की आराधना किया करते थे। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन, वासुदेव ने गंगा स्नान किया और एक पीपल के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की आराधना की।
प्रार्थना के दौरान, उन्हें दिव्य आकाशवाणी सुनाई दी, “वासुदेव, आज का दिन तुम्हारे लिए विशेष है। जो भी पुण्य कर्म करोगे, वह सौ गुना होकर लौटेगा।” यह सुनकर वासुदेव ने अपने पास बचे हुए थोड़े से चावल और गुड़ को दान कर दिया।
उस रात, भगवान विष्णु स्वयं उनके सपने में प्रकट हुए और कहा, “तुम्हारे पुण्य कर्म और भक्ति के कारण तुम्हारे जीवन की सारी परेशानियां समाप्त हो जाएंगी।” अगले ही दिन, वासुदेव को एक अमूल्य खजाना मिला, जिसने उनका जीवन बदल दिया।
इस दिन भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धार्मिक आयोजन होते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है, और भक्तजन दान, व्रत और भजन-कीर्तन में भाग लेते हैं। गंगा घाटों पर मेले लगते हैं, जहां श्रद्धालु स्नान कर अपनी आस्था प्रकट करते हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा हमें सिखाती है कि भक्ति, दान, और सच्ची निष्ठा से जीवन की हर कठिनाई पर विजय प्राप्त की जा सकती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि ईश्वर हमेशा अपने भक्तों की मदद करते हैं, बशर्ते वे सच्चे हृदय से उनकी आराधना करें।
तो इस मार्गशीर्ष पूर्णिमा, अपने जीवन में सकारात्मकता और धार्मिकता का संचार करें। गंगा स्नान, दान, और पूजा-पाठ के माध्यम से आत्मा की शुद्धि करें और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।