
Lunar Eclipse 2025 : 2025 में चंद्रग्रहण 7 सितंबर, रविवार के दिन होगा। यह ग्रहण कई मायनों में खास है क्योंकि यह आधी रात के आसपास घटित होगा। यदि चंद्रग्रहण का प्रारंभ और समाप्ति समय ग्रेगोरियन कैलेंडर की दो अलग-अलग तिथियों को कवर करता है, तो ग्रहण का मुख्य दिन वही माना जाता है जब चंद्रग्रहण अपने चरम पर होता है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि उपच्छाया (Penumbra) और अम्ब्रल (Umbra) चरण आधी रात से पहले शुरू हो सकते हैं।
चंद्र ग्रहण और चंद्रोदय का समय
ग्रहण के क्षणों की गणना करते समय चंद्रोदय और चंद्रास्त को ध्यान में रखा जाता है। यह प्रक्रिया लंबन (parallax) को सही करती है और ग्रहण को देखने का सटीक समय प्रदान करती है। यह सुधार न केवल वैज्ञानिक बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अहम होता है।
हिंदू धर्म में चंद्रग्रहण का महत्व
हिंदू धर्म में चंद्रग्रहण को गहन आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व दिया जाता है। हालांकि, यह तभी मान्य होता है जब ग्रहण नंगी आंखों से दिखाई दे। यदि चंद्रग्रहण केवल उपच्छाया चरण में है और नंगी आंखों से दिखाई नहीं देता, तो इसे धार्मिक महत्व नहीं दिया जाता।
धार्मिक अनुष्ठान और उपच्छाया चरण:
उपच्छाया चरण के दौरान चंद्रग्रहण दिखाई नहीं देता, इसलिए इस दौरान कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते। जब चंद्रग्रहण अम्ब्रल चरण में होता है और नंगी आंखों से देखा जा सकता है, तभी इसे धार्मिक दृष्टि से मान्यता मिलती है।
सूतक काल का पालन:
हिंदू धर्म में सूतक काल का पालन ग्रहण के दौरान किया जाता है। हालांकि, यह केवल तभी आवश्यक है जब चंद्रग्रहण आपके शहर में दृश्यमान हो। यदि चंद्रग्रहण आपके शहर में दिखाई नहीं देता, तो सूतक काल का पालन करना जरूरी नहीं है।
वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टिकोण का संतुलन
चंद्रग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का हिस्सा भी है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, यह सूर्य, पृथ्वी, और चंद्रमा के बीच एक विशेष संरेखण का परिणाम है। धार्मिक दृष्टि से, इसे आत्मनिरीक्षण और शुद्धिकरण का समय माना जाता है।
ग्रहण के दौरान सावधानियां
ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए।
धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना और ध्यान लगाना लाभकारी माना जाता है।
ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान और घर की शुद्धि करना जरूरी माना जाता है।
2025 का चंद्रग्रहण वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। जहां वैज्ञानिक दृष्टि से यह खगोलीय घटना के रूप में आकर्षक है, वहीं धार्मिक दृष्टि से यह आत्मचिंतन और शुद्धिकरण का अवसर प्रदान करता है। यह समझना जरूरी है कि चंद्रग्रहण का वास्तविक महत्व तभी है जब यह नंगी आंखों से दिखाई दे और इसे वैज्ञानिक तथ्यों के साथ धार्मिक परंपराओं से जोड़ा जाए।