
Kojagara Puja 2025 : कोजागरा पूजा 2025 इस साल 6 अक्टूबर को सोमवार के दिन मनाई जाएगी। यह पूजा विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में धूमधाम से आयोजित होती है। कोजागरा व्रत देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष अवसर है, जो विशेष रूप से रात्रि जागरण के साथ जुड़ा हुआ है। इस दिन का महत्व खास तौर से इस बात से जुड़ा हुआ है कि देवी लक्ष्मी इस रात पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो लोग जागरण करते हैं, उन्हें धन-धान्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
कोजागरा पूजा का महत्व
कोजागरा पूजा को बंगाली लक्ष्मी पूजा और कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत आश्विन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसे कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। स्कंदपुराण में इसे सर्वश्रेष्ठ व्रत बताया गया है, जो न केवल इस जन्म में बल्कि अगले जन्म में भी ऐश्वर्य, स्वास्थ्य और संतान की प्राप्ति का कारण बनता है।
कोजागरा व्रत की कथा
कोजागरा व्रत की कथा के अनुसार, एक बार मगध देश में वलित नामक एक ब्राह्मण रहता था। वह ज्ञानी तो था, परंतु अत्यधिक निर्धन था। उसका जीवन किसी प्रकार चलता था, और वह दूसरों से कोई मांग नहीं करता था। हालांकि, वह नियमित रूप से पूजा-पाठ करता था और संध्या स्नान करता था। एक दिन किसी ने उसके घर दान दिया, और उसी दिन से उसकी किस्मत बदल गई।
वलित नामक ब्राह्मण की कथा से यह सिद्ध होता है कि कोजागरा व्रत के प्रभाव से भक्तों की दरिद्रता दूर हो सकती है और वे समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, क्योंकि देवी लक्ष्मी इस दिन जागरण करने वालों को विशेष आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
कोजागरा पूजा की विधि
कोजागरा पूजा के दिन विशेष रूप से रात्रि जागरण करना होता है। इस दिन भक्त देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए नारियल का पानी पीते हैं और चौसर का खेल खेलते हैं। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करना और समृद्धि की प्राप्ति की कामना करना होता है।
पूजा के दौरान, भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, ताकि उनकी कृपा से घर में सुख-शांति और समृद्धि आए। यह पूजा न केवल भौतिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन को भी बढ़ावा देती है।
कोजागरा पूजा, जो देवी लक्ष्मी के प्रति भक्ति का पर्व है, हमारे जीवन में समृद्धि और सुख-शांति लाने का एक अवसर है। यह पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है। इस दिन को विशेष रूप से संजीवनी शक्ति प्राप्त करने और देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद से अपने जीवन को धन्य बनाने के लिए मनाया जाता है।