
Kanya Sankranti 2025 : कन्या संक्रांति हिंदू सौर कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो वर्ष के छठे महीने की शुरुआत को दर्शाता है। इस साल, कन्या संक्रांति 17 सितंबर 2025 को बुधवार के दिन मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है और इसके साथ जुड़ी विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराएं हैं। इस दिन का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत अधिक है।
कन्या संक्रांति का धार्मिक महत्व
कन्या संक्रांति का संबंध सूर्य देवता के कन्या राशि में प्रवेश से है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य अपनी यात्रा को कन्या राशि से प्रारंभ करता है, तो यह समय विशेष रूप से दान-पुण्य और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए उत्तम माना जाता है। संक्रांति का क्षण, जो सूर्य के राशि परिवर्तन के ठीक बाद आता है, एक शुभ अवसर होता है। इस समय को सोलह घटी तक विशेष रूप से दान और पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।
इस दिन को लेकर मान्यता है कि इसे धार्मिक अनुष्ठान करने और पुण्य कार्य करने के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है। विशेष रूप से इस दिन तंत्र-मंत्र, पूजा-अर्चना और यज्ञ आदि का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा, इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह दिन सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश को दर्शाता है, जो नए ऊर्जा का संचार करता है और जीवन में समृद्धि लाता है।
कन्या संक्रांति और दान-पुण्य की परंपरा
कन्या संक्रांति का समय विशेष रूप से दान-पुण्य की गतिविधियों के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन लोग विशेष रूप से अपने घरों में पूजा-पाठ करते हैं और ब्राह्मणों को दान देते हैं। इसके अलावा, गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, खाद्य पदार्थ और अन्य आवश्यक चीजें दान में दी जाती हैं। यह दिन लोगों के दिलों में करुणा और दयालुता की भावना को जगाता है, जिससे समाज में भाईचारे की भावना बढ़ती है।
इस दिन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह समय प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का होता है। खासतौर पर दक्षिण भारत में इसे ‘संक्रमणम’ के नाम से जाना जाता है, और यहाँ पर विभिन्न प्रकार के धार्मिक आयोजन होते हैं। लोग घरों की सफाई करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और खासतौर पर सूर्य देव की पूजा करते हैं। इस दिन को लेकर एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि यह सूर्य के उत्तरायण यात्रा के प्रारंभ का प्रतीक है, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव और उन्नति का संकेत देता है।
कन्या संक्रांति और विश्वकर्मा पूजा
कन्या संक्रांति को ‘विश्वकर्मा पूजा’ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से कारीगर, शिल्पकार और उद्योगपति अपने कामकाजी उपकरणों और मशीनों की पूजा करते हैं। यह दिन उनके लिए एक विशेष अवसर होता है, जब वे अपने काम में सफलता और समृद्धि की कामना करते हैं। विश्वकर्मा पूजा से जुड़ी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने सभी प्रकार के यंत्र और उपकरणों का निर्माण किया था, और इस दिन उनका आशीर्वाद प्राप्त करना बेहद शुभ माना जाता है।
कन्या संक्रांति एक ऐसा पर्व है, जो न केवल धार्मिकता से जुड़ा है, बल्कि समाज में अच्छाई और सकारात्मकता फैलाने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन को मनाने से न केवल व्यक्ति की आत्मिक उन्नति होती है, बल्कि समाज में एकजुटता और भाईचारे की भावना भी बढ़ती है। यह दिन हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव और उन्नति का संदेश लेकर आता है, और हम सभी को अपने आसपास के लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए प्रेरित करता है।