
Kali Chaudas 2025 : काली चौदस 2025 इस साल 19 अक्टूबर को रविवार के दिन मनाई जाएगी। यह पर्व विशेष रूप से पश्चिमी राज्यों, विशेषकर गुजरात में, बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। काली चौदस को भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है और यह दिवाली के उत्सव के दौरान मनाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण तिथि है। हालांकि इसे रूप चौदस और नरक चतुर्दशी से अलग समझना चाहिए, क्योंकि यह नरक चतुर्दशी से एक दिन पहले आती है।
काली चौदस का महत्व और तिथि का निर्धारण पंचांग के अनुसार किया जाता है। यह पर्व चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो मध्यरात्रि के समय होती है। इसे पंचांग के हिसाब से महा निशिता समय के रूप में जाना जाता है। इस समय में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें अंधेरे की देवी और वीर वेताल की पूजा की जाती है। यही कारण है कि काली चौदस का आयोजन विशेष रूप से श्मशान भूमि पर रात के समय किया जाता है, ताकि इस समय के माहौल और वातावरण का पूरा लाभ लिया जा सके।
काली चौदस के दिन विशेष रूप से रात के समय श्मशान में पूजा का आयोजन होता है, जिसमें विशेष रूप से अंधेरे की देवी काली की पूजा की जाती है। इसके साथ ही वीर वेताल की पूजा भी की जाती है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य बुरी शक्तियों से रक्षा प्राप्त करना और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना होता है। इसलिए इसे भूत-प्रेत और नकारात्मकता से बचने का दिन माना जाता है।
यह पर्व बंगाल काली पूजा से भी अलग है, जिसे काली चौदस के एक दिन बाद मनाया जाता है। बंगाल काली पूजा मध्यरात्रि के समय अमावस्या तिथि को होती है, जबकि काली चौदस चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इसलिए दोनों पर्वों को मिलाना नहीं चाहिए, क्योंकि उनका समय और पूजा विधि अलग-अलग होती है।
काली चौदस का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता और शांति का संचार भी करता है। इस दिन विशेष रूप से अपने घरों को साफ करने, बुरी ऊर्जा को दूर करने और नकारात्मक विचारों से मुक्त होने का प्रयास किया जाता है।
इस साल काली चौदस 19 अक्टूबर को रविवार को है, जो इस पर्व को और भी विशेष बना देता है। इस दिन को मनाते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम सही तिथि का पालन करें और इसे रूप चौदस और नरक चतुर्दशी के साथ न मिलाएं, क्योंकि ये तीनों पर्व अलग-अलग तिथियों पर मनाए जाते हैं।
कुल मिलाकर, काली चौदस एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हमें अंधेरे से बाहर निकलकर उजाले की ओर बढ़ने का संदेश देता है। इसे सही विधि से मनाने पर जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।