
Gangaur 2025 : गणगौर त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक प्रमुख पर्व है, जिसे विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व स्त्रियों के लिए समर्पित है और मां गौरी तथा भगवान शिव की आराधना के लिए जाना जाता है। वर्ष 2025 में गणगौर का त्योहार 10 अप्रैल, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र, सुखी वैवाहिक जीवन और कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए व्रत रखती हैं।
गणगौर पूजा विधि
Gangaur Puja Vidhi 2025 : गणगौर का पर्व हिंदू धर्म में स्त्रियों के सोलह श्रृंगार और पारिवारिक समृद्धि का प्रतीक है। यह पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ‘गण’ का अर्थ है भगवान शिव और ‘गौर’ का तात्पर्य मां गौरी से है। इस त्योहार में मां गौरी के सौभाग्य, समृद्धि और पारिवारिक कल्याण का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां गौरी ने भगवान शिव को अपने तप और भक्ति से प्रसन्न कर अपने पति के रूप में पाया था। इसलिए यह पर्व पति-पत्नी के प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है।
गणगौर की पूजा में महिलाओं द्वारा विशेष नियमों और विधियों का पालन किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने सोलह श्रृंगार करती हैं और कुंवारी कन्याएं भी पारंपरिक वस्त्र धारण कर पूजा करती हैं।
प्रारंभिक तैयारी:
पूजा के लिए मिट्टी या गोबर से मां गौरी और भगवान शिव की मूर्ति बनाई जाती है। उन्हें पारंपरिक आभूषणों और वस्त्रों से सजाया जाता है।
पूजा स्थल का निर्माण:
घर के आंगन या मंदिर में पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर सजाया जाता है। वहां सुंदर रंगोली बनाई जाती है।
पूजन सामग्री:
गणगौर पूजा के लिए सामग्री में सुहाग की वस्तुएं जैसे चूड़ी, बिंदी, कुमकुम, मेहंदी, काजल, और लाल वस्त्र, इसके अलावा गंगाजल, दीपक, अक्षत, फल, फूल, पान, सुपारी और नारियल शामिल होते हैं।
पूजा विधान:
सुबह जल्दी स्नान कर महिलाएं मां गौरी और भगवान शिव की मूर्ति के सामने दीपक जलाती हैं। इसके बाद सुहाग की सामग्रियां मां गौरी को अर्पित की जाती हैं। महिलाएं गणगौर गीत गाती हैं और गौरी-शंकर की कथा सुनती हैं। पूजा के दौरान ‘ऊं गौर गौरा गनेशाय नमः’ मंत्र का जप किया जाता है।
जल अर्पण:
पूजा के अंत में महिलाएं किसी नदी, तालाब या कुंड में जाकर मां गौरी को जल अर्पित करती हैं।
गणगौर पर्व के दौरान कई सांस्कृतिक और पारंपरिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। राजस्थान में इस पर्व की खास धूम होती है। जयपुर, उदयपुर और जोधपुर जैसे शहरों में गणगौर की शोभायात्राएं निकाली जाती हैं, जिनमें सजी-धजी पालकियां और पारंपरिक नृत्य देखने को मिलते हैं। यह शोभायात्रा सामूहिक उत्सव और लोक संस्कृति का जीवंत उदाहरण होती है।
कुंवारी लड़कियां इस दिन मां गौरी से अच्छे वर की कामना करती हैं। वहीं, विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
गणगौर 2025 के शुभ मुहूर्त
Gangaur 2025 Shubh Muhurat
गणगौर पूजा का दिन: 10 अप्रैल 2025, गुरुवार
पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातःकाल 6:30 से 8:00 बजे तक (स्थान के अनुसार मुहूर्त में परिवर्तन हो सकता है)।
धार्मिक मान्यताएं और लाभ
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां गौरी की आराधना से वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और स्थिरता आती है। इस पर्व का पालन करने से महिलाओं को न केवल धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि वे अपने परिवार के कल्याण और सुरक्षा के लिए मां गौरी का आशीर्वाद भी प्राप्त करती हैं।
गणगौर पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। यह पर्व महिलाओं को अपने पारिवारिक जीवन के महत्व को समझने और उसकी समृद्धि के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देता है। साथ ही, यह पर्व प्रकृति और परंपराओं के प्रति आभार व्यक्त करने का भी अवसर है।
गणगौर 2025 का पर्व हर महिला के लिए आत्मिक शांति, प्रेम और समर्पण की भावना को जागृत करने वाला है। इस पवित्र अवसर पर मां गौरी की आराधना कर अपने परिवार और जीवन को समृद्धि और सौभाग्य से भरने का संकल्प लें।