
Govardhan Puja 2025 : गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो इस वर्ष 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। यह पर्व दिवाली के अगले दिन आता है और भगवान कृष्ण द्वारा इंद्रदेव को पराजित करने की पौराणिक कथा से जुड़ा है। कभी-कभी, हिंदू पंचांग के आधार पर दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का अंतर हो सकता है।
Govardhan Puja subh Muhurat 2025
(गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त )
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – प्रातः 06:26 बजे से प्रातः 08:42 बजे तक
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त – 03:29 PM से 05:44 PM तक
गोवर्धन पूजा का पौराणिक महत्व और कथा
गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण की भक्ति और उनकी दयालुता का प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने गोकुलवासियों को इंद्रदेव की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया था। इसके बाद, इंद्रदेव ने क्रोधित होकर गोकुल में भारी वर्षा की। तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी लोगों और पशुओं को वर्षा से बचाया। इस घटना से यह शिक्षा मिलती है कि प्रकृति और उसकी देखभाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक पूजा करते हैं। गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है, जिसे फूलों, दीपों और रंगीन वस्त्रों से सजाया जाता है। इसके बाद गोवर्धन महाराज की पूजा की जाती है और उन्हें तरह-तरह के पकवान अर्पित किए जाते हैं।
Annakut Puja subh Muhurat 2025
(अन्नकूट पूजा का शुभ मुहूर्त)
अन्नकूट पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – प्रातः 06:26 बजे से प्रातः 08:42 बजे तक
अन्नकूट पूजा सायंकाल मुहूर्त – 03:29 PM से 05:44 PM तक
अन्नकूट पूजा के तहत चावल, गेहूं, बेसन की करी, दाल, और पत्तेदार सब्जियों से बने व्यंजन भगवान कृष्ण को भोग स्वरूप चढ़ाए जाते हैं। यह पूजा परिवार और समाज के लोगों को एकजुट करने और अन्न के महत्व को समझाने का अवसर प्रदान करती है।
महाराष्ट्र में गोवर्धन पूजा
महाराष्ट्र में गोवर्धन पूजा के दिन को बलि प्रतिपदा या बलि पड़वा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार द्वारा असुर राजा बलि पर विजय का उत्सव मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि राजा बलि भगवान वामन के वरदान के कारण इस दिन पाताल लोक से धरती पर आते हैं। लोग इस दिन उनका स्वागत करते हैं और खुशहाली की कामना करते हैं।
गुजराती नववर्ष से संबंध गोवर्धन पूजा
अधिकांश समय, गोवर्धन पूजा का दिन गुजराती नववर्ष के दिन के साथ मेल खाता है। यह नववर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को मनाया जाता है। हालांकि, पंचांग के अनुसार, कभी-कभी ये दोनों पर्व अलग-अलग दिन भी मनाए जा सकते हैं।
गोवर्धन पूजा प्रकृति और भगवान कृष्ण के प्रति आस्था का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि हमें पर्यावरण संरक्षण, अन्न का आदर और सामुदायिक सहयोग की भी शिक्षा देता है। इस दिन, भगवान कृष्ण की कथा का स्मरण करते हुए उनकी भक्ति में लीन होकर हम अपने जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली का संचार कर सकते हैं।