
Ganesh Chaturthi 2025 : गणेश चतुर्थी, जो इस वर्ष 27 अगस्त 2025 को बुधवार के दिन मनाई जाएगी, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और समृद्धि, बुद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश की पूजा का दिन है। गणेश चतुर्थी का उत्सव विशेष रूप से भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, जहां लाखों भक्त अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना करते हैं और उन्हें श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं। इस दिन का महत्व इतना है कि यह त्योहार न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत खास होता है।
गणेश चतुर्थी का इतिहास और महत्व
मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी तिथि को हुआ था। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश को विशेष रूप से ज्ञान, समृद्धि, और विघ्नों को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। उनका जन्म एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि वे देवी-देवताओं के समस्त विघ्नों को दूर करने का कार्य करते हैं। गणेश चतुर्थी का दिन श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ा अवसर है जब वे भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने घरों में स्थापित करते हैं।
गणेश उत्सव और विसर्जन
गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिनों तक चलता है, और यह अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है, जिसे गणेश विसर्जन दिवस कहा जाता है। इस दिन, भक्त भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन करते हैं, जो एक भव्य जुलूस के साथ जलाशयों, नदियों या समुद्र में किया जाता है। विसर्जन के साथ ही यह विश्वास जताया जाता है कि भगवान गणेश ने भक्तों से विदाई ली है और अगले वर्ष फिर से आने का वचन दिया है। यह दिन उत्सव का अंतिम दिन होता है और इसे बहुत ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
गणपति स्थापना और पूजा मुहूर्त
गणेश चतुर्थी पर पूजा करने का सबसे उपयुक्त समय मध्याह्न काल होता है। हिन्दू समय के अनुसार, दिन को पांच भागों में विभाजित किया जाता है: प्रातःकाल, संगव, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल। गणेश पूजा का आदर्श समय मध्याह्न है, क्योंकि यही वह समय है जब भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस समय, भक्त गणेश की विधिपूर्वक पूजा करते हैं, और विशेष रूप से षोडशोपचार गणपति पूजा की जाती है, जिसमें भगवान गणेश को 16 प्रकार के उपचार अर्पित किए जाते हैं।
गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन वर्जित
गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन करने से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है, जिसके अनुसार चंद्रमा को देखने से मिथ्या दोष लग जाता है। यह मान्यता विशेष रूप से भगवान कृष्ण से जुड़ी हुई है, जब उन्हें चंद्रमा को देखने के कारण स्यामंतक रत्न चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि नारद ने भगवान कृष्ण को बताया कि भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा देखने से मिथ्या दोष लग जाता है और उस दोष से मुक्त होने के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत रखना चाहिए। इसके बाद भगवान कृष्ण ने गणेश चतुर्थी का व्रत रखा और मिथ्या दोष से मुक्ति प्राप्त की।
मिथ्या दोष निवारण मंत्र
यदि कोई भक्त गलती से गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देख लेता है, तो उसे इस दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र है:
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥
यह मंत्र भगवान कृष्ण के लिए उद्धृत किया गया था और यह चंद्र दर्शन से उत्पन्न मिथ्या दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
गणेश चतुर्थी का सांस्कृतिक महत्व
गणेश चतुर्थी सिर्फ धार्मिक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। इस दिन लोग एक दूसरे के घरों में जाकर गणेश जी की पूजा करते हैं और भव्य समारोहों का आयोजन करते हैं। खासकर मुंबई और अन्य महानगरों में यह उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, जहां विशाल गणेश की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं और संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच गणेश के विसर्जन तक हर पल खुशी से भरा रहता है।
गणेश चतुर्थी एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और शुभ अवसर है, जो न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ाता है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी फैलाता है। यह दिन सभी को नई ऊर्जा, समृद्धि और ज्ञान प्राप्ति की प्रेरणा देता है। गणेश चतुर्थी की पूजा के साथ जुड़ी मान्यताएं, व्रत और मंत्र न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि जीवन में आस्था और विश्वास की शक्ति को भी प्रकट करते हैं। इस दिन के माध्यम से हम अपने जीवन में भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुखमय और समृद्ध बना सकते हैं।