
Dhanu Sankranti 2025 : इस साल धनु संक्रांति 16 दिसंबर 2025 को दिन मंगलवार को है | भारत में त्योहार और पर्व विशेष धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है धनु संक्रांति, जिसे हिंदू धर्म में सूर्य के धनु राशि में प्रवेश का पर्व माना जाता है। इस साल, धनु संक्रांति 16 दिसंबर 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस पावन पर्व के महत्व, पूजन विधि और इससे जुड़ी परंपराओं के बारे में।
धनु संक्रांति सूर्य देव
धनु संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जो मार्गशीर्ष महीने का महत्वपूर्ण समय होता है। इसे शुभ माना जाता है क्योंकि इस समय से दिन बड़े होने लगते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है।
सूर्य का यह गोचर धार्मिक अनुष्ठानों और पुण्य कर्मों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। दक्षिण भारत में इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसे ‘धनु मास’ की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
Dhanu Sankranti Punya Kala Shubh Muhurta 2025
(धनु संक्रांति शुभ मुहर्त पूजा समय)
धनु संक्रांति पुण्य काल – सुबह 07:07 बजे से दोपहर 12:17 बजे तक
धनु संक्रांति महा पुण्य काल – प्रातः 07:07 बजे से प्रातः 08:50 बजे तक
धनु संक्रांति पर पूजन विधि
स्नान और संकल्प:
धनु संक्रांति के दिन प्रातःकाल गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अगर नदी में स्नान संभव न हो, तो घर में ही स्नान कर संकल्प लें।
सूर्य उपासना:
स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र का उपयोग करें और उसमें जल, लाल फूल, अक्षत (चावल), और थोड़ा सा गुड़ मिलाएं।
दान-पुण्य:
इस दिन दान का विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, घी, और तिल का दान करना शुभ माना जाता है। गायों को चारा खिलाने और ब्राह्मणों को भोजन कराने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
धार्मिक अनुष्ठान:
मंदिर में जाकर भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करें। ‘आदित्य हृदय स्तोत्र’ का पाठ करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है।
विशेष भोजन:
धनु संक्रांति के दिन विशेष रूप से खिचड़ी बनाकर भगवान को अर्पित की जाती है और इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
धनु संक्रांति की परंपराएं
दक्षिण भारत में धनु मास के दौरान मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है।
इस दिन भगवान विष्णु की आराधना और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
उत्तर भारत में खिचड़ी और तिल-गुड़ के लड्डुओं का वितरण किया जाता है।
धनु संक्रांति का आध्यात्मिक पक्ष
धनु संक्रांति आत्मा की शुद्धि और प्रकृति से जुड़ने का पर्व है। इस दिन किए गए सत्कर्म और पूजा न केवल वर्तमान जीवन में बल्कि आगामी जन्मों में भी शुभ फल प्रदान करते हैं।
धनु संक्रांति न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें प्रकृति, ईश्वर और मानवता के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर देता है। तो इस साल 16 दिसंबर 2025 को धनु संक्रांति के दिन शुभ कार्य करें, दान-पुण्य करें और सकारात्मक ऊर्जा से अपने जीवन को आलोकित करें।
धनु संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं!