
Dattatreya Jayanti 2025 : दत्तात्रेय जयंती, जो इस वर्ष 4 दिसंबर 2025, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय, जिन्हें त्रिमूर्ति—ब्रह्मा, विष्णु और शिव—का संयुक्त अवतार माना जाता है, की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को भगवान के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व का दिन माना जाता है, क्योंकि यह भगवान दत्तात्रेय की अद्वितीय शिक्षाओं और जीवन को याद करने का अवसर प्रदान करता है।
भगवान दत्तात्रेय त्रिमूर्ति का प्रतीक
भगवान दत्तात्रेय को त्रिमूर्ति का प्रतीक माना जाता है। उनके स्वरूप में ब्रह्मा, सृष्टि के रचयिता; विष्णु, सृष्टि के पालनकर्ता; और शिव, सृष्टि के संहारक, तीनों का समावेश होता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय ने मानवता को अद्वितीय ज्ञान, ध्यान, और भक्ति का मार्ग दिखाया। वे गुरु परंपरा के आदिश्रेष्ठ माने जाते हैं और उनके अनुयायी उन्हें आदिगुरु के रूप में पूजते हैं।
Dattatreya Jayanti Shubh Muhurta 2025
(दत्तात्रेय जयंती शुभ मुहर्त पूजा समय)
गुरुवार, 4 दिसंबर 2025 को दत्तात्रेय जयंती
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 04 दिसंबर 2025 को सुबह 08:37 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 05 दिसंबर, 2025 को प्रातः 04:43 बजे
दत्तात्रेय जयंती के दिन भक्त भगवान दत्तात्रेय की पूजा और ध्यान करते हैं। इस दिन व्रत रखना, मंदिर में दर्शन करना, और भजन-कीर्तन करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। भक्तगण इस दिन भगवान से ज्ञान, शांति और आत्मकल्याण की प्रार्थना करते हैं। इस पर्व को लेकर मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय की उपासना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भक्त को आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
दत्तात्रेय जयंती की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय अत्रि ऋषि और उनकी पत्नी अनुसूया के पुत्र थे। उनकी उत्पत्ति की कथा बेहद रोचक है। कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अनुसूया की पवित्रता की परीक्षा लेने के लिए एक ब्राह्मण के वेश में उनसे भिक्षा मांगी। अनुसूया ने अपनी साधना और पवित्रता के बल पर तीनों देवताओं को एक शिशु के रूप में बदल दिया। इसी शिशु के रूप में भगवान दत्तात्रेय प्रकट हुए।
दत्तात्रेय जयंती पर भगवान दत्तात्रेय की पूजा विशेष विधि से की जाती है। सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनने के बाद भगवान की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाया जाता है। मंत्रों का उच्चारण कर भगवान को फूल, धूप, और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। कुछ लोग इस दिन दत्तात्रेय चालीसा का पाठ भी करते हैं। कई स्थानों पर दत्तात्रेय मंदिरों में भव्य उत्सव और धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
भारत में कई मंदिर भगवान दत्तात्रेय को समर्पित हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में उनके मंदिरों में इस दिन विशेष पूजा और भंडारे का आयोजन होता है। इनमें नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर और कर्नाटक के गोकर्ण जैसे स्थान प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तगण भगवान के दर्शन के लिए आते हैं।
यह पर्व हमें सिखाता है कि ईश्वर के प्रति समर्पण, ध्यान, और भक्ति से जीवन के सभी दुख दूर किए जा सकते हैं। यह दिन हमें अपने अंदर के अज्ञान को मिटाकर ज्ञान और शांति का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है।
दत्तात्रेय जयंती पर भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएं।