
आज, 25 दिसंबर, एक ऐसा दिन है जब भारत ने एक सच्चे नेता, वक्ता और कवि को जन्मते देखा—अटल बिहारी वाजपेयी जी। ‘भारत रत्न’ से सम्मानित अटल जी न केवल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे, बल्कि उन्होंने भारतीय जनमानस को अपनी कविताओं, विचारों और कृतित्व से प्रेरित किया।
अटल बिहारी वाजपेयी जी का नेतृत्व अनोखा था। वे राजनीति को केवल सत्ता तक सीमित नहीं मानते थे। उनके लिए यह सेवा और सशक्तिकरण का माध्यम था। तीन बार भारत के प्रधानमंत्री (13 दिन, 13 महीने और फिर 1998-2004 तक) के रूप में उन्होंने भारत को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया। पोखरण परमाणु परीक्षण, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, कश्मीर में शांति प्रयास, और भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाना उनके दूरदर्शी नेतृत्व |
अटल जी की कविताएँ:
उनकी कविताएँ उनके हृदय की सच्चाई, देशभक्ति और जीवन के प्रति गहरी समझ को दर्शाती हैं। उनकी कविताओं में संघर्ष, विश्वास और मानवता की झलक मिलती है।
“हार नहीं मानूंगा”
हार नहीं मानूंगा,
रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पर
लिखता मिटाता हूं,
गीत नया गाता हूं।
“मौत से ठन गई”
झुकी नहीं, झुकेगी नहीं,
मौत से ठन गई।
टकराएंगे, चटकेगी,
फिर भी बढ़ते जाएंगे।
कवि, जो हृदय से नेता था
अटल जी ने सिखाया कि राजनीति केवल विवादों का मंच नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम है। उनकी कविताएँ उनके संघर्षशील जीवन का प्रतिबिंब हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी ने जो मार्ग दिखाया, वह आज भी हमें प्रेरणा देता है। उनके विचार और काव्य हमें सिखाते हैं कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, हौसला बनाए रखना ही जीवन की सच्ची सफलता है।
आज उनके जन्मदिन पर, आइए हम सब उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करें और भारत को सशक्त बनाने में अपनी भूमिका निभाएं।