
Agastya Arghya 2025 : अगस्त्य अर्घ्य 2025: यह पर्व इस बार 4 सितंबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। वैदिक परंपराओं में ऋषि अगस्त्य का विशेष स्थान है। उनका उल्लेख महाकाव्य रामायण और महाभारत में मिलता है। अगस्त्य अर्घ्य का धार्मिक महत्व, विधि और इसके साथ जुड़े मंत्र इस पर्व को खास बनाते हैं।
अगस्त्य अर्घ्य का महत्व
भविष्य पुराण के अनुसार, अगस्त्य अर्घ्य करने से मनुष्य को जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह पर्व ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों और शूद्रों के लिए अलग-अलग लाभों को दर्शाता है:
ब्राह्मण को ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है।
क्षत्रिय को पृथ्वी पर विजय का आशीर्वाद मिलता है।
वैश्य धन-धान्य से समृद्ध होते हैं।
शूद्र आर्थिक संपन्नता का अनुभव करते हैं।
विशेष मान्यता:
सात वर्षों तक इस विधि का पालन करने से भक्त परम ब्रह्म के निकट पहुंचता है। यह पर्व न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक कष्टों को भी दूर करता है।
अगस्त्य अर्घ्य विधि
अगस्त्य अर्घ्य की विधि विशेष मंत्रों और प्रार्थनाओं के माध्यम से पूरी होती है। आइए इसे विस्तार से समझें:
1. प्रार्थना मंत्र
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए ऋषि अगस्त्य से प्रार्थना करें:
काशपुष्पप्रतीकाश वह्निमारुत्सम्भव।
मित्रवरुणयोः पुत्र कुम्भयोने नमोऽस्तु ते॥
अर्थ: हे काशपुष्प जैसे तेजस्वी, वह्नि और वायु से उत्पन्न, मित्र और वरुण के पुत्र ऋषि अगस्त्य को नमन।
2. अर्घ्य देने का मंत्र
इस मंत्र से अगस्त्य मुनि को जल अर्पित करें:
अगस्त्यः खन्मनः खनित्रैः प्रजामपत्यं मिच्छमानः।
उभौ वर्णवृषिरुग्रः पुपोष सत्या देवेष्वाशिषो जगमः।
3. विसर्जन मंत्र
अगस्त्य मुनि का सम्मानपूर्वक विसर्जन करें:
राजपुत्री महाभागे ऋषिपत्नी वरानने॥
लोपामुद्रे नमस्तुभ्यमर्घ्य मे प्रतिगृह्यताम्।
अर्थ: हे लोपामुद्रा, राजा की महान बेटी, ऋषि की पत्नी, आप मेरे अर्घ्य को स्वीकार करें।
4. दान का मंत्र
दान करते समय इस मंत्र का उपयोग करें:
अगस्त्यः सप्तजन्मघं नाशयित्वयोर्यम्।
अतुलं विमलं सौख्यं प्रयच्छ त्वं महामुने॥
अर्थ: हे अगस्त्य मुनि, आप सात जन्मों के पापों को नष्ट करें और हमें शुद्ध सुख प्रदान करें।
अगस्त्य अर्घ्य का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
ऋषि अगस्त्य का जीवन प्रेरणा का स्रोत है। वे वह ऋषि थे जिन्होंने दक्षिण भारत में वेदों का प्रचार-प्रसार किया और समुद्र को पीकर धरती को सुरक्षित किया।
रामायण में भगवान राम ने उनके आश्रम में ठहरकर जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझा।
महाभारत में उनका उल्लेख एक महान संत और तपस्वी के रूप में किया गया है, जिन्होंने संसार को धर्म और ज्ञान का उपदेश दिया।
अगस्त्य अर्घ्य भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व न केवल धर्म, कर्म और तपस्या का प्रतीक है, बल्कि व्यक्ति के जीवन को समृद्ध और शांतिपूर्ण बनाने का मार्ग भी दिखाता है।
इस पर्व के माध्यम से ऋषि अगस्त्य की महिमा को स्मरण करते हुए, उनके बताए धर्म पथ पर चलने का संकल्प लिया जाता है।