
Veer Bal Diwas 2025 (वीर बाल दिवस 2025 डेट): भारत में हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहसी पुत्रों के बलिदान और उनके अद्वितीय साहस के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए समर्पित है। 2022 में पहली बार इस दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की शुरुआत हुई। वीर बाल दिवस गुरु जी के छोटे साहिबजादों – साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह – की शहादत को याद करता है। इन नन्हें वीरों ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उस समय साहिबजादा जोरावर सिंह की उम्र मात्र 9 वर्ष और साहिबजादा फतेह सिंह की उम्र मात्र 6 वर्ष थी।
चार साहिबजादों का बलिदान
गुरु गोबिंद सिंह के चार पुत्र – अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह – सिख धर्म की महान परंपराओं के प्रतीक हैं। साल 1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, और ये चारों साहिबजादे खालसा के प्रति पूरी निष्ठा से समर्पित थे।
साल 1705 में पंजाब में मुगलों का शासन था। मुगल शासक गुरु गोबिंद सिंह को पकड़ने के हरसंभव प्रयास कर रहे थे। इसी संघर्ष में गुरु गोबिंद सिंह अपने परिवार से बिछड़ गए। उनकी पत्नी माता गुजरी, छोटे बेटों जोरावर सिंह और फतेह सिंह के साथ रसोइए गंगू के संरक्षण में चली गईं। लेकिन गंगू ने लालच में आकर सरहिंद के नवाब वजीर खां को उनकी जानकारी दे दी।
धर्म की रक्षा के लिए साहसिक बलिदान
सरहिंद के नवाब वजीर खां ने माता गुजरी और छोटे साहिबजादों को बंदी बना लिया। इससे पहले, साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह मुगलों से युद्ध में वीरगति को प्राप्त कर चुके थे। वजीर खां ने साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम धर्म अपनाने का आदेश दिया, लेकिन उन नन्हें वीरों ने अपने धर्म पर अडिग रहते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया।
उनकी निडरता से क्रोधित होकर वजीर खां ने निर्दयी आदेश दिया कि दोनों बच्चों को दीवार में जिंदा चुनवा दिया जाए। 26 दिसंबर 1705 को यह क्रूरतम घटना घटी। जब माता गुजरी को यह समाचार मिला, तो उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए।
वीर बाल दिवस का महत्व
भारत सरकार ने 2022 में 26 दिसंबर को “वीर बाल दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की। यह दिवस चार साहिबजादों के अद्वितीय बलिदान और उनके साहस को सम्मानित करता है। वीर बाल दिवस हमें धर्म, सच्चाई और न्याय की रक्षा के लिए प्रेरित करता है। यह दिन भारतीय इतिहास के गौरवशाली अध्याय को याद करने और नई पीढ़ी को साहस और धर्मपरायणता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
वीर बाल दिवस न केवल साहिबजादों के बलिदान की गाथा को उजागर करता है, बल्कि यह हर व्यक्ति को यह संदेश देता है कि सत्य और धर्म के लिए खड़ा होना, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, सबसे बड़ा कर्तव्य है। साहिबजादों की यह गाथा हमें सिखाती है कि सच्चाई और साहस की कोई उम्र नहीं होती।