
Tulasi Vivah 2025: तुलसी विवाह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु या उनके अवतार श्री कृष्ण के साथ पवित्र तुलसी के पौधे का विवाह करके मनाया जाता है। इस साल तुलसी विवाह 2 नवंबर 2025, रविवार को मनाया जाएगा। यह दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ता है, जो विशेष रूप से धार्मिक और सामाजिक महत्व रखता है। आइए, इस ब्लॉग में जानते हैं तुलसी विवाह के बारे में अधिक।
तुलसी विवाह की कहानी
प्राचीन काल में एक गहन जंगल में एक साध्वी ब्राह्मणी अपनी तपस्या में लीन रहती थी। उसकी तपस्या इतनी महान थी कि सभी देवता भी उसकी पूजा करते थे। इस साध्वी ने एक दिन भगवान विष्णु से वरदान मांगा कि वह उनके साथ विवाह करें, ताकि उनका जीवन पवित्र और कल्याणकारी हो। भगवान विष्णु ने उनकी इच्छाओं को सुना और कहा, “तुम्हारी तपस्या को मैं स्वीकार करता हूं, लेकिन मैं तुमसे एक शर्त पर विवाह करूंगा। तुम अपनी तपस्या को छोड़कर मेरे लिए एक पौधा उगाओ।”
साध्वी ने भगवान की बात मानी और अपने आश्रम में तुलसी का पौधा उगाया। यह पौधा जल्द ही बहुत पवित्र और शक्तिशाली हो गया। भगवान विष्णु ने उसे स्वीकार किया और उसकी पूजा की। यही कारण है कि आज भी तुलसी विवाह को भगवान विष्णु के साथ उनकी प्यारी तुलसी के विवाह के रूप में मनाया जाता है।
तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है। इसे ‘व्रंदावन’ या ‘वृंदा’ भी कहा जाता है। तुलसी को भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की प्रिय माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, तुलसी का पौधा घर में रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह स्वास्थ्य, सुख-शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है।
तुलसी विवाह एक धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें तुलसी के पौधे को श्री कृष्ण या भगवान विष्णु के साथ विवाह करके पूजनीय माना जाता है। यह पूजा विशेष रूप से कार्तिक मास में होती है, और इसे हिन्दू समाज में एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, भक्त तुलसी के पौधे के पास दीप जलाकर और विधिपूर्वक पूजा करते हैं।
Tulasi Vivah Subh Muhurat 2025
(तुलसी विवाह शुभ मुहर्त पूजा समय )
रविवार, 2 नवंबर 2025 को तुलसी विवाह
द्वादशी तिथि प्रारंभ – 02 नवंबर 2025 को प्रातः 07:31 बजे से
द्वादशी तिथि समाप्त – 03 नवंबर, 2025 को प्रातः 05:07 बजे
तुलसी विवाह की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। इस दिन, सबसे पहले तुलसी के पौधे की साफ-सफाई की जाती है और उसे सजाया जाता है। फिर पूजा स्थल पर भगवान विष्णु या श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित की जाती है। उसके बाद भक्त तुलसी के पौधे और भगवान विष्णु के प्रतीक स्वरूप श्री कृष्ण के बीच विवाह की रस्में निभाते हैं। तुलसी के पौधे को एक कन्या के रूप में पूजा जाता है और भगवान विष्णु या श्री कृष्ण को उनके पति के रूप में पूजा जाता है।
यह पूजा सुबह से लेकर शाम तक चलती है, जिसमें विशेष रूप से भगवान कृष्ण और तुलसी की विशेष पूजा की जाती है। विवाह संस्कार के दौरान शहनाई बजाई जाती है, मंत्रों का जाप किया जाता है, और भगवान कृष्ण के विवाह की कथा का श्रवण किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से मीठे पकवानों का भोग भी भगवान को अर्पित किया जाता है।
तुलसी विवाह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज में एकता और प्रेम का प्रतीक भी है। इस दिन सभी परिवारजन मिलकर तुलसी विवाह की पूजा करते हैं और परिवार में खुशहाली की कामना करते हैं। इसके साथ ही, यह दिन विवाह के महत्व को भी दर्शाता है, जहां हर व्यक्ति भगवान कृष्ण और तुलसी के बीच के प्रेम और विवाह के रिश्ते को श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाता है।
तुलसी विवाह का स्वास्थ्य पर प्रभाव
तुलसी का पौधा स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। यह पौधा बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट करने में मदद करता है। तुलसी के सेवन से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा, तुलसी के पत्ते मानसिक शांति प्रदान करते हैं और तनाव को कम करने में सहायक होते हैं।
तुलसी विवाह एक पवित्र और धार्मिक अवसर है, जो न केवल भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है, बल्कि यह भगवान विष्णु और श्री कृष्ण के साथ जुड़ी अनगिनत कथाओं और संदेशों का भी प्रचार करता है। इस दिन, परिवार और समाज के लोग एकजुट होकर अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और जीवन में सुख-शांति की कामना करते हैं। 2 नवंबर 2025 को होने वाला तुलसी विवाह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में एकता, प्रेम और परिवार के महत्व को भी प्रकट करता है।