
Karwa Chauth 2025 : करवा चौथ 2025 इस साल 10 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। भारत में यह पर्व प्रमुख रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारतीय राज्यों में इसकी महत्ता कुछ कम है। हालांकि, करवा चौथ का व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए उनके पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है, और इसका पालन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ किया जाता है।
करवा चौथ का व्रत अमांता कैलेंडर के अनुसार गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी भारत में आश्विन माह के दौरान मनाया जाता है। यह पर्व संकष्टी चतुर्थी के दिन मनाए जाने वाले व्रत से मेल खाता है, जो भगवान गणेश के लिए किया जाता है। हालांकि, विभिन्न राज्यों में महीने का नाम भिन्न हो सकता है, लेकिन पूरे देश में यह व्रत एक ही दिन मनाया जाता है।
इस दिन का व्रत बहुत कठोर होता है। विवाहित महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात में चाँद के दर्शन होने तक बिना कुछ खाए और पानी पिए दिनभर उपवासी रहती हैं। व्रत का उद्देश्य अपने पति की लंबी उम्र की कामना करना होता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और उनके परिवार के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं। चाँद को देखने के बाद और उसे अर्घ देने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है।
करवा चौथ के व्रत में ‘करवा’ शब्द का महत्व है, जो मिट्टी के उस बर्तन को संदर्भित करता है, जिससे चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है। इसे ‘अर्घ’ कहा जाता है। पूजा के दौरान इस करवा का विशेष स्थान होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान स्वरूप दिया जाता है।
उत्तर भारत में करवा चौथ की परंपरा अत्यधिक प्रचलित है। महिलाएं इस दिन विशेष रूप से साज-श्रृंगार करती हैं और व्रत के बाद चाँद के दर्शन के साथ पूजा का समापन करती हैं। यह दिन केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जब महिलाएं एकजुट होकर इस पर्व को मनाती हैं।
करवा चौथ के चार दिन बाद, विशेष रूप से उत्तर भारत में अहोई अष्टमी का व्रत मनाया जाता है। इस दिन बेटों की भलाई के लिए व्रत रखा जाता है, और यह व्रत भी महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस प्रकार, करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को भी मजबूती प्रदान करता है। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए एक अवसर है, जब वे अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को प्रगाढ़ करते हैं।