
Indira Ekadashi Vrat 2025 : इंदिरा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, जो भक्तों के द्वारा भगवान विष्णु की उपासना करने के लिए किया जाता है। इस वर्ष इंदिरा एकादशी व्रत 17 सितंबर 2025 को बुधवार के दिन है। यह दिन विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं के लिए होता है जो अपने पापों से मुक्ति पाने और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने के इच्छुक होते हैं।
इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व
इंदिरा एकादशी व्रत का आयोजन प्रत्येक वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन व्रत रखने से श्रद्धालु अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करने की कामना करते हैं। साथ ही, यह व्रत विशेष रूप से मोक्ष की प्राप्ति और पापों के नाश के लिए किया जाता है। यह व्रत न केवल आत्मा की शुद्धि के लिए है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
पारण का समय और नियम
इंदिरा एकादशी व्रत के बाद पारण का बहुत महत्व होता है। पारण का मतलब है व्रत का समापन। यह पारण एकादशी व्रत के अगले दिन, यानी द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद किया जाता है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाए, तो पारण उसी दिन द्वादशी तिथि के भीतर करना आवश्यक होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप के समान माना जाता है।
इसके अलावा, हरि वासर का विशेष ध्यान रखना होता है। हरि वासर का अर्थ है द्वादशी तिथि का पहला एक चौथाई भाग, और व्रत तोड़ने से पहले इस हरि वासर के समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। व्रत तोड़ने के लिए प्रातःकाल सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। इस समय व्रत का पारण करना पवित्रता को दर्शाता है। अगर किसी कारणवश प्रातःकाल पारण नहीं किया जा सका तो मध्याह्न के बाद भी पारण किया जा सकता है, लेकिन इसे टालने से बचना चाहिए।
द्वि-दिवसीय एकादशी व्रत
कभी-कभी एकादशी व्रत दो दिनों तक चलता है, जिसे द्वि-दिवसीय एकादशी व्रत कहा जाता है। इस व्रत में, पहले दिन के व्रत के बाद दूसरे दिन भी व्रत का पालन किया जाता है। यह विशेष रूप से स्मार्त और वैष्णव दोनों प्रकार के व्रतियों के लिए होता है। जहाँ स्मार्त श्रद्धालु पहले दिन व्रत करते हैं, वहीं वैष्णव श्रद्धालु दोनों दिन एक साथ व्रत करते हैं।
व्रत की विधि और ध्यान रखने योग्य बातें
इंदिरा एकादशी व्रत की विधि में विशेष रूप से पूजा-पाठ और भगवान विष्णु का ध्यान किया जाता है। व्रति को पूरे दिन केवल फलाहार करने की सलाह दी जाती है और रात को जागरण करना चाहिए। साथ ही, व्रति को अपने पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप करना चाहिए।
स्मार्त व्रति के लिए पहले दिन का व्रत सबसे महत्वपूर्ण होता है, जबकि वैष्णव व्रति को दोनों दिन व्रत करना चाहिए। विशेष रूप से सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्तों के लिए दूसरा दिन अधिक लाभकारी होता है।
इंदिरा एकादशी व्रत एक अत्यंत पुण्यकारी और श्रद्धा से भरा पर्व है, जो भक्तों को जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति दिलाने में सहायक होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएँ समाप्त होती हैं और आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है। अतः इस पवित्र अवसर पर व्रति को सभी नियमों का पालन करना चाहिए और भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।