
Navratri 2025 : भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक परंपराओं में नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि 2025 इस वर्ष 22 सितंबर, सोमवार से आरंभ होगी। यह पर्व देवी दुर्गा की शक्ति, करुणा, और विजय का प्रतीक है। नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है “नौ रातें,” जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होती हैं। विजयादशमी, जिसे दशहरा के रूप में भी जाना जाता है, नवरात्रि का समापन है, जब देवी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।
Durga Puja 2025
दुर्गा पूजा भारतीय संस्कृति में शक्ति की आराधना का सबसे पवित्र समय है। इस दौरान लोग उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, और देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। यह पर्व भारत के लगभग हर राज्य में मनाया जाता है, लेकिन इसकी परंपराएं और रीति-रिवाज क्षेत्रीय भिन्नताओं के अनुसार अलग-अलग हैं।
गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यहां गरबा और डांडिया का आयोजन होता है, जहां लोग सामूहिक रूप से नृत्य करते हैं। पश्चिम बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है, जहां देवी दुर्गा की भव्य प्रतिमाओं को सजाया जाता है। दुर्गा सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दौरान विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
घटस्थापना और पूजा विधि
नवरात्रि का आरंभ घटस्थापना से होता है, जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं। यह शुभ मुहूर्त में किया जाता है और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ देवी दुर्गा को आमंत्रित किया जाता है। इसे नवरात्रि का प्रारंभिक और सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है।
नवरात्रि के विविध स्वरूप
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि को 9 दिनों तक मनाने के अलावा 7, 5, 3, 2 या 1 दिन की नवरात्रि के रूप में भी मनाया जा सकता है। यह श्रद्धालुओं की सुविधानुसार होता है, लेकिन सभी में श्रद्धा और भक्ति समान होती है।
अनुष्ठान और परंपराएं
नवरात्रि के दौरान कई प्रमुख अनुष्ठान और परंपराएं निभाई जाती हैं:
ज्योति कलश: अखंड दीप जलाने की परंपरा, जो देवी की अखंड कृपा का प्रतीक है।
कुमारी पूजा: कन्याओं की पूजा करके उन्हें देवी दुर्गा का रूप मानकर आशीर्वाद प्राप्त करना।
संधि पूजा: अष्टमी और नवमी के संधि समय में की जाने वाली विशेष पूजा।
नवमी होम: नवमी के दिन हवन के माध्यम से देवी का आह्वान।
चंडी पाठ: दुर्गा सप्तशती का पाठ, जो नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से किया जाता है।
नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
नवरात्रि केवल पूजा का समय नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का पर्व भी है। उपवास और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त होकर सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करता है। यह पर्व हमें आस्था, भक्ति, और धर्म की शक्ति पर विश्वास करना सिखाता है।
आश्विन नवरात्रि 2025 में देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए श्रद्धालु उत्साहपूर्वक तैयारी करें। इस पावन समय में हर किसी को अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर ज्ञान और प्रकाश की ओर अग्रसर होना चाहिए।