
Ganesh Visarjan 2025 : गणेश विसर्जन का पर्व हिंदू धर्म में गहरी आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष गणेश विसर्जन 6 सितंबर 2025, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। यह पर्व गणेश चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन तक चलता है।
गणेश चतुर्थी और विसर्जन का महत्व
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना की जाती है। पूजा-अर्चना के बाद विसर्जन की प्रक्रिया होती है, जो अधिकांशतः अनंत चतुर्दशी के दिन पूरी की जाती है। विसर्जन का अर्थ है भगवान गणेश को जल में समर्पित करना, जिससे यह संदेश मिलता है कि जीवन चक्र निरंतर चलता रहता है। यह पर्व हमें भगवान गणेश की विदाई के साथ उनके आशीर्वाद और सीखों को अपने जीवन में आत्मसात करने का अवसर देता है।
डेढ़ दिन का गणेश विसर्जन
गणेश चतुर्थी के अगले दिन डेढ़ दिन का गणेश विसर्जन किया जाता है। इस दिन भक्त गणपति की पूजा दोपहर तक करते हैं और मध्याह्न के बाद मूर्तियों को जल में विसर्जित कर देते हैं। चूंकि मूर्ति की स्थापना मध्याह्न में होती है और विसर्जन अगले दिन दोपहर के समय किया जाता है, इसे डेढ़ दिन का गणेश विसर्जन कहा जाता है।
तीसरे, पाँचवें और सातवें दिन का विसर्जन
गणेश विसर्जन के लिए अनंत चतुर्दशी सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। फिर भी, कई परिवार अपनी परंपरा और सुविधा के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन से तीसरे, पाँचवें या सातवें दिन गणेश विसर्जन करते हैं। इन सभी दिनों का विषम संख्या में होना विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है।
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का आयोजन बड़े धूमधाम से होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है, और भक्त उपवास रखते हैं। भगवान गणेश की मूर्तियों को जल निकायों में विसर्जित करने से पहले नारियल, फूल और मिठाई का अंतिम प्रसाद अर्पित किया जाता है। जुलूस के दौरान “गणपति बप्पा मोरया” और “गणेश महाराज की जय” के जयकारों से माहौल भक्तिमय हो जाता है।
मुंबई का गणेश विसर्जन: एक भव्य आयोजन
मुंबई में गणेश विसर्जन अपने अनोखे अंदाज के लिए प्रसिद्ध है। गणपति मंडलों के मार्गदर्शन में विशाल जुलूस निकाले जाते हैं। ढोल, ताशा और अन्य पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुनों के साथ भक्तगण मूर्तियों को समुद्र, नदी या झील में विसर्जित करते हैं। यह उत्सव पूरी रात चलता है और अगली सुबह तक जारी रहता है।
पर्यावरण-अनुकूल विसर्जन का महत्व
आजकल पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कई परिवार और मंडल मूर्तियों को घर पर या कृत्रिम टैंकों में विसर्जित करते हैं। यह कदम जल स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। मिट्टी और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बनी मूर्तियों का उपयोग इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
गणेशोत्सव: भक्ति, परंपरा और सामूहिकता का प्रतीक
गणेशोत्सव न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने वाला पर्व भी है। इस उत्सव के दौरान लोग अपने मतभेद भूलकर भगवान गणेश की भक्ति में डूब जाते हैं। गणेश विसर्जन हमें यह सिखाता है कि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत है।
आइए, इस गणेश विसर्जन पर हम पर्यावरण संरक्षण और परंपरा के पालन का संतुलन बनाए रखें और भगवान गणेश के आशीर्वाद से अपने जीवन को सार्थक बनाएं।