
Buddha Purnima 2025 : बुद्ध पूर्णिमा 2025 इस वर्ष 12 मई, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। यह पर्व वैशाख महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसे भगवान गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में प्रमुखता से मनाया जाता है। यह दिन न केवल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए बल्कि सभी धर्मों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि गौतम बुद्ध की शिक्षाएँ मानवता के कल्याण और आत्मबोध का संदेश देती हैं।
गौतम बुद्ध: जीवन और शिक्षाएँ
गौतम बुद्ध, जिनका जन्म नाम सिद्धार्थ गौतम था, एक अद्वितीय आध्यात्मिक गुरु थे। उनका जीवनकाल लगभग 563-483 ईसा पूर्व के बीच माना जाता है। उनका जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। सिद्धार्थ का जन्म एक राजपरिवार में हुआ, लेकिन जीवन के सत्य को जानने की उत्कंठा ने उन्हें सांसारिक सुख-सुविधाओं को त्यागने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कठोर तपस्या और ध्यान के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त किया। ऐसा माना जाता है कि उन्हें ज्ञान की प्राप्ति बोधगया में हुई थी। आत्मज्ञान के पश्चात्, उन्होंने अपनी शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया और धर्मचक्र प्रवर्तन की शुरुआत सारनाथ से की। उनकी शिक्षाएँ करुणा, अहिंसा, और सत्य पर आधारित थीं।
बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल
बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, गौतम बुद्ध से संबंधित चार स्थान विशेष महत्व रखते हैं:
लुम्बिनी: गौतम बुद्ध का जन्मस्थान।
बोधगया: वह स्थान जहाँ उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया।
सारनाथ: यहाँ उन्होंने पहली बार धर्म का उपदेश दिया।
कुशीनगर: यहाँ उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया।
इन स्थानों पर हर वर्ष बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यहाँ ध्यान, पूजा, और दान के विशेष आयोजन होते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती, वेसाक, और वैशाख के नामों से भी जाना जाता है। यह पर्व केवल बुद्ध के जन्मदिन का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उनके आत्मज्ञान और महापरिनिर्वाण की तिथि भी मानी जाती है। इस दिन, बौद्ध अनुयायी पूजा-अर्चना करते हैं, ध्यान साधना करते हैं, और जरूरतमंदों को दान देते हैं। गौतम बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाओं को स्मरण कर, लोग आत्मसुधार और शांति का मार्ग अपनाने का संकल्प लेते हैं।
धार्मिक मान्यताएँ और विविधताएँ
भारत के विभिन्न हिस्सों में बुद्ध को अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है। उत्तर भारत में गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का 9वाँ अवतार माना जाता है, जबकि दक्षिण भारत में यह मान्यता नहीं है। वहाँ बलराम को 8वाँ और भगवान कृष्ण को 9वाँ अवतार माना जाता है। हालांकि, बौद्ध धर्मावलंबी बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं मानते।
बुद्ध पूर्णिमा न केवल गौतम बुद्ध की जयंती का दिन है, बल्कि यह मानवता के प्रति उनके योगदान को याद करने का अवसर भी है। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और विश्व को शांति और करुणा का संदेश देती हैं।