
Varuthini Ekadashi Vrat 2025 : वरुथिनी एकादशी, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला एक व्रत है, जो भगवान विष्णु की उपासना के लिए रखा जाता है। 2025 में यह व्रत 24 अप्रैल, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। यह व्रत वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्तर भारतीय पूर्णिमांत कैलेंडर और चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को दक्षिण भारतीय अमांत कैलेंडर के अनुसार आता है।
वरुथिनी एकादशी का महत्व
वरुथिनी एकादशी का शाब्दिक अर्थ है “सुरक्षा प्रदान करने वाली एकादशी”। इस व्रत को करने से भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनके सभी पापों का नाश होता है। यह दिन आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है और सुख, शांति तथा समृद्धि का आगमन होता है।
व्रत के नियम और पारण
एकादशी व्रत पालन करने के लिए भक्तों को कई नियमों का पालन करना पड़ता है:
व्रत प्रारंभ: व्रत एकादशी तिथि के सूर्योदय से शुरू होता है। भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और मंत्र जाप करते हैं।
पारण का समय: एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद किया जाता है। हरि वासर (द्वादशी के पहले एक चौथाई भाग) के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।
भोजन और आहार: व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें या निर्जला व्रत रखें। प्याज, लहसुन, और तामसिक वस्तुओं का सेवन वर्जित होता है।
दूसरे दिन व्रत: कुछ भक्त लगातार दो दिन व्रत करते हैं। पहले दिन का व्रत सामान्य गृहस्थ के लिए होता है, जबकि दूसरा दिन सन्यासियों और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक लोगों के लिए होता है।
व्रत के लाभ
वरुथिनी एकादशी व्रत को करने से मानसिक और आत्मिक शुद्धता प्राप्त होती है। इस व्रत का पालन करने से:
पापों का नाश: जीवन के सभी कष्ट और पाप समाप्त होते हैं।
मोक्ष की प्राप्ति: यह व्रत जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
सुख-समृद्धि: व्रत के प्रभाव से घर में सुख, शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
भगवान विष्णु की कृपा: व्रत करने वाले पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद बना रहता है।
कैसे करें पूजा?
सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीप प्रज्वलित करें।
तुलसी के पत्तों और फूलों से पूजा करें।
दिनभर व्रत का पालन करें और शाम को कथा सुनें।
वरुथिनी एकादशी का व्रत आत्मा की शुद्धि और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत व्यक्ति को पापों से मुक्त कर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। सही नियमों का पालन और श्रद्धा से किया गया यह व्रत जीवन को सकारात्मक ऊर्जा और शांति से भर देता है।