
Papmochani Ekadashi 2025 : पापमोचनी एकादशी, हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और शुभ दिन माना जाता है। यह व्रत 2025 में 25 और 26 मार्च को मनाया जाएगा, जो मंगलवार और बुधवार को पड़ रहा है। यह एकादशी होलिका दहन और चैत्र नवरात्रि के बीच आती है और इसे साल की आखिरी एकादशी के रूप में जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने से जीवन के पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
पापमोचनी एकादशी का समय और तिथि
पापमोचनी एकादशी उत्तर भारतीय पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष में और दक्षिण भारतीय अमांत कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। हालांकि, उत्तर और दक्षिण भारत में यह एक ही दिन मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह मार्च या अप्रैल के महीने में आती है।
व्रत का महत्व
पापमोचनी एकादशी का नाम ही इसके महत्व को दर्शाता है – ‘पाप’ यानी बुरे कर्मों का नाश और ‘मोचनी’ यानी मुक्ति। इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के पाप खत्म होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने जीवन के दोषों और गलतियों को सुधारना चाहते हैं।
व्रत और पारण विधि
एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।
- पारण का समय: द्वादशी तिथि के भीतर व्रत तोड़ना आवश्यक है। यदि द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है, तो उसी दिन पारण कर लेना चाहिए।
- हरि वासर का पालन: हरि वासर के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। हरि वासर द्वादशी का पहला चौथाई भाग होता है।
- सर्वोत्तम समय: व्रत तोड़ने का सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। यदि किसी कारणवश प्रातःकाल में व्रत नहीं तोड़ा जा सकता, तो मध्याह्न के बाद पारण किया जा सकता है।
दो दिन का व्रत
कभी-कभी एकादशी व्रत दो दिनों तक चलता है।
- पहला दिन: स्मार्त-परिवारजन पहले दिन व्रत करते हैं।
- दूसरा दिन: सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष के इच्छुक भक्तों को दूसरे दिन व्रत करने की सलाह दी जाती है।
- दोनों दिन व्रत: भगवान विष्णु के परम भक्त, जो उनके प्रेम और कृपा के इच्छुक हैं, दोनों दिन व्रत कर सकते हैं।
व्रत की पूजा विधि
- व्रत के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाएं और उनकी आराधना करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और दिन भर उपवास रखें।
- जरूरतमंदों को दान दें और शाम को विष्णु मंत्रों का जाप करें।
पापमोचनी एकादशी का व्रत न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष की ओर भी ले जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस पवित्र अवसर को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाएं और अपने जीवन को पुण्य कर्मों से समृद्ध करें।