
Amalaki Ekadashi 2025 : आमलकी एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। यह फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष, आमलकी एकादशी 10 मार्च 2025, सोमवार को पड़ेगी। आमलकी एकादशी महा शिवरात्रि और होली के बीच आने वाली एकादशी है और इसे आम तौर पर फरवरी या मार्च के महीने में मनाया जाता है।
आमलकी एकादशी का धार्मिक महत्व
आमलकी एकादशी का नाम ‘आंवले’ के पेड़ से जुड़ा हुआ है। इसे ‘आंवला एकादशी’ भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्त को विशेष फल प्राप्त होते हैं और उनके समस्त पापों का नाश होता है। आंवले के पेड़ को भी पवित्र और शुभ माना गया है। इस दिन पेड़ की पूजा करने से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
व्रत रखने की विधि
आमलकी एकादशी के दिन व्रत रखने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है।
स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। व्रत को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए।
पूजा-अर्चना: भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की विधिपूर्वक पूजा करें। धूप, दीप, फूल, और नैवेद्य चढ़ाएं। ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
कथा वाचन: आमलकी एकादशी की कथा सुनना और सुनाना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे व्रत की पूर्णता होती है।
उपवास: उपवास के दौरान फलाहार लिया जा सकता है, लेकिन अन्न और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है।
व्रत का पारण
व्रत का समापन पारण के माध्यम से होता है। पारण एकादशी के अगले दिन, द्वादशी तिथि में, सूर्योदय के बाद करना चाहिए।
हरि वासर का महत्व: हरि वासर के दौरान व्रत का पारण नहीं करना चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि का पहला एक चौथाई भाग होता है।
पारण का समय: प्रातःकाल व्रत तोड़ना शुभ होता है। यदि सुबह पारण न कर सकें, तो इसे मध्याह्न के बाद करना चाहिए। द्वादशी तिथि के भीतर ही पारण करना अत्यंत आवश्यक है।
पारण का नियम: यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है, तो पारण उसी समय करना चाहिए। द्वादशी के भीतर पारण न करना धर्म में दोष का कारण बनता है।
दो दिन की एकादशी का निर्णय
कभी एकादशी व्रत दो दिनों तक पड़ता है। ऐसे में स्मार्त और परिवारिक जन पहले दिन व्रत रखते हैं। वहीं, सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष की कामना रखने वालों के लिए दूसरे दिन व्रत करने का नियम है। यदि दोनों दिन व्रत का पालन किया जाए, तो इसे सर्वोत्तम माना जाता है।
आमलकी एकादशी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और पापों से मुक्ति पाने का सुअवसर प्रदान करती है। यह व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है। श्रद्धा और भक्ति के साथ आमलकी एकादशी का पालन करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है।